Monday, June 8, 2020

छाजन | क्या है एक्जिमा | क्यों होता है एक्जिमा | क्या हैं एक्जिमा के लक्षण | एक्जिमा का उपचार (घरेलू)


छाजन | क्या है एक्जिमा | क्यों होता है एक्जिमा | क्या हैं एक्जिमा के लक्षण | एक्जिमा का उपचार (घरेलू)


क्या है एक्जिमा ?

एक्जिमा (छाजन) एक ऐसी बीमारी है, जो व्यक्ति की त्वचा पर कहीं भी हो सकती है। इसमें त्वचा पर लाल या पुराने होने पर हल्के काले रंग के दाग-धब्बे पड़ जाते हैं। इनमें काफी तेज़ खुजली भी होती है, जो कई बार पीड़ित के लिए असहनीय भी हो जाती है। एक्जिमा के ज्यादा फैलने पर त्वचा पर छाले भी पड़ जाते हैं, जिनसे पानी आने लगता है। कई बार इनसे खून या मवाद भी बहने लगता है। एक्जिमा से निकलने वाला पानी त्वचा पर जहां जहां लगता है, ये चमड़ी के उस स्थान पर भी हो जाता है।

एक्जिमा को अटॉपिक डर्मेटाइटिस  के नाम से भी जाना जाता है, जिसका तात्पर्य ऐसी स्थिति से है जिसमें त्वचा पर खुजली और लाल धब्बे हो जाते हैं। यह समस्या मुख्य रूप से नवजात शिशुओ और बच्चों में देखने को मिलती है जिसका असर उनके चेहरे पर पड़ता है। लेकिन कई बार यह बीमारी अधिक उम्र के लोगों को भी हो जाती है।

एक्जिमा होने की स्थिति में त्वचा पर लाल पैच, सूजन, खुजली, त्वचा फटी और खुरदरे हो जाती है, कुछ लोगों में फफोले विकसित होते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में एक्जिमा से पीड़ित लोगों का रेश्यो ज्यादा है। एक्जिमा विशेष रूप से "एटोपिक जिल्द की सूजन" है जो एक्जिमा का सबसे आम प्रकार है। एटोपिक का अर्थ है इम्यून सिस्टम से संबंधित बीमारियों का एक समूह, जिसमें एटोपिक जिल्द की सूजन, बुखार और अस्थमा शामिल हैं। यह डर्मेटाइटिस स्किन की इंफ्लेमेटरी स्थिति है।

एक्जिमा के लक्षण क्या होते हैं ?

किसी भी अन्य बीमारी की तरह एक्जिमा के भी अपने कुछ लक्षण होते हैं, जो उसके शुरू होने के संकेत देते हैं। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि एक्जिमा और इसके लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होते हैं। एक्जिमा के निम्नलिखित कुछ सामान्य लक्षण हैं :-

त्वचा पर खुजली होना - यह एक्जिमा का प्रमुख लक्षण है, जिसमें व्यक्ति की  त्वचा पर काफी ज्यादा खुजली होती है। कई बार, यह समस्या इतनी तकलीफदेह हो जाती है, कि व्यक्ति को इसके लिए एंटी सेप्टिक क्रीम लगानी पड़ती है।

त्वचा का रूखा पड़ना -  कुछ लोगों की त्वचा एक्जिमा होने पर रूखा हो जाती है और इस स्थिति में उन्हें मेडिकल सहायता की जरूरत पड़ सकती है।

त्वचा पर लाल दब्बों का पड़ना - यदि किसी व्यक्ति की त्वचा पर लाल दब्बों हो  जाते हैं, तो उसे डॉक्टर से मिलना चाहिए क्योंकि यह एक्जिमा का कारण बन सकता है।

मोटी, पपड़ीदार त्वचा का होना - अक्सर, ऐसा भी देखा गया है कि एक्जिमा होने पर कुछ लोगों की त्वचा मोटी,पपड़ीदार बन जाती है।

त्वचा पर निशान का पड़ना - यह एक्जिमा का अन्य लक्षण है, जिसमें व्यक्ति की त्वचा पर निशान पड़ जाते हैं। यदि इन निशानों का इलाज सही समय पर किया जाए, तो कुछ समय के ये घाव का रूप भी ले सकते हैं।

एक्जिमा के कुछ अन्य सामान्य लक्षण भी हैं :-

·     सबसे पहले लक्षण में तेज खुजली होना है
·     बाद में दाने लालिमा के साथ दिखाई देते है, विभिन्न आकारों के धब्बे के साथ विकसित हो जाते है
·     खुजली होने से जलन हो सकती है, विशेष रूप से पलकें जैसी पतली त्वचा में
·     खरोंच लगने पर यह उगलना शुरू कर सकता है और क्रस्टी बन सकता है
·     लंबे समय तक रगड़ने से वयस्कों में त्वचा में गाढ़ा सजीले टुकड़े हो जाते हैं
·     समय के साथ दर्दनाक दरारें दिखाई दे सकती हैं
·     पलकें खुजली, फुंसी से लाल होना
·     खुजली नींद पैटर्न को परेशान कर सकती है
·     दाद के रूप में फंगल इन्फेक्शन, दाद और मोलस्कम इन्फेक्शन जैसे वायरल इन्फेक्शन एक्जिमा वाले लोगों में अधिक आम लक्षण हैं

एक्जिमा के कारण क्या है ? एक्जिमा क्यों होता है ?

एक्जिमा का सही कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। एटोपिक जिल्द की सूजन सबसे आम प्रकार है जो एक एलर्जी जैसा दिखता है जबकि त्वचा की जलन वयस्कों की तुलना में बच्चों में अधिक होती है जो एलर्जी की प्रतिक्रिया नहीं है। हालांकि, एक्जिमा का कारण बनने वाले संयुक्त कारक पाए जाते हैं। अलग - अलग लोगों में एक्जिमा होने की वजह अलग-अलग होती है, इसके बावजूद एक्जिमा कुछ प्रमुख कारणों से होती है, जो निम्नलिखित हैं :-

रोग-प्रतिरोग क्षमता का कमजोर होना - ऐसा माना जाता है कि यदि किसी शख्स की रोग-प्रतिरोग क्षमता (Immune Power) कमजोर होती  है, तो उसे कई सारी बीमारियां हो सकती हैं। यह बात एक्जिमा पर भी लागू होती है क्योंकि यह बीमारी भी कमजोर रोग-प्रतिरोग की वजह से होती  है।

एलर्जी से ग्रस्त होना - एक्जिमा की बीमारी की संभावना उन लोगों में अधिक रहती है, जिन्हें धूल, मिट्ठी, धूप इत्यादि से एलर्जी होती है। ऐसे लोगों को अपने स्वास्थ का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है और उन्हें इन सभी चीजों से बचना चाहिए।

अस्थमा का होना - अक्सर, ऐसा भी देखा गया है कि अस्थमा से पीड़ित कुछ लोगों को भी एक्जिमा भी हो जाती है। ऐसे में यह जरूरी है कि अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति अपने स्वास्थ का विशेष ध्यान रखे और किसी भी तरह की परेशानी होने पर उसकी सूचना डॉक्टर को दे।

अधिक मात्रा में तनाव लेना - एक्जिमा की बीमारी उन लोगों को भी हो सकती है, जो अधिक मात्रा में तनाव लेते हैं। अत: हम सभी यह कोशिश करनी चाहिए कि हमें तनाव हो ताकि हमें कोई बीमारी हो।

पौष्टिक भोजन करना - ऐसा माना जाता है कि हमारे खानपान का हमारे स्वास्थ पर सीधा असर पड़ता है। ऐसा एक्जिमा के मामले में भी होता है क्योंकि यह बीमारी उस व्यक्ति को भी हो सकती है, जो पौष्टिक भोजन नहीं करता है।

इसे आसान शब्दों में कहें तो :-

·     इम्यून सिस्टम की समस्या
·     जेनेटिक फैक्टर
·     त्वचा में कीटाणु दोष और नमी को बाहर निकालने की अनुमति देता है
·     ऐसी गतिविधियाँ जो त्वचा को अधिक संवेदनशील और पर्यावरण बनाती हैं
·     एक खराब त्वचा बाधा परेशान, एलर्जी, वायरस और बैक्टीरिया को आसानी से अनुमति देती है
·     एक्जिमा किसी व्यक्ति को प्रभावित करने पर त्वचा की अवरोधक क्षमता कम हो जाती है

एक्जिमा के जोखिम क्या हो सकते हैं ?

ऐसा माना जाता है कि किसी भी व्यक्ति के लिए किसी बीमारी को नज़रअदाज़ करना नुकसानदायक साबित हो सकता है क्योंकि यह कुछ समय के बाद गंभीर रूप ले सकती है। यह बात एक्जिमा पर भी लागू होती है क्योंकि यदि कोई व्यक्ति इसकी इलाज सही समय पर नहीं कराता है तो उसे कुछ जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है, जो इस प्रकार हैं :-

त्वचा संक्रमण का होना - यह एक्जिमा का प्रमुख जोखिम है, जिसमें व्यक्ति की त्वचा संक्रमण हो जाता है। हालांकि, इसका इलाज संभव है लेकिन, यदि यह कुछ समय तक लाइलाज रह जाए तो यह काफी गंभीर समस्या बन सकती है।

त्वचा का लाल पड़ना - कई बार, एक्जिमा का इलाज सही समय पर किया जाए, तो इससे व्यक्ति की त्वचा का रंग लाल पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में उन्हें मेडिकल सहायता की जरूरत पड़ सकती है अन्यथा यह उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है।

मेहनत वाले व्यायाम को कर पाना - चूंकि, एक्जिमा पसीना आने की वजह से भी होती है अत: इससे पीड़ित लोगों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वे ऐसे कोई व्यायाम करें जिसमें ज्यादा मेहनत करनी हो।

त्वचा पर सूजन का होना या घाव का होना - एक्जिमा से पीड़ित कुछ लोगों की त्वचा में सूजन हो जाती है। इसके अलावा कुछ लोगों की त्वचा पर घाव भी हो जाता है। यदि किसी व्यक्ति को ये समस्याएं होती हैं, तो उन्हें इसकी सूचना डॉक्टर को देनी चाहिए।

मज़ाक का पात्र बनना - जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि एक्जिमा की बीमारी बच्चों में अधिक देखने को मिलती है। इसी कारण उन्हें कई बार अपमान का सामना भी करना पड़ता है, जिसका असर उसके मानसिक स्वास्थ पर पड़ता है।

एक्जिमा के प्रकार क्या हैं ?

एक्जिमा कई तरह के होते हैं

एटॉपिक डर्मेटाइटिस (Atopic Dermatitis)
यह एक्जिमा का सबसे आम रूप है। यह अक्सर बच्चों में देखा जाता है और व्यस्क होने पर दूर हो जाता है।

डिशिड्रोटिक एक्जिमा (Dyshidrotic Eczema)
इसमें पैरों और हथेलियों के तलवों पर त्वचा की जलन, हाथों और पैरों में छोटे फफोले बन जाते हैं। यह महिलाओं में अधिक देखा जाता है।

न्यूरोडर्मेटाइटिस (Neuro Dermatitis)
यह एटॉपिक डर्मेटाइटिस (Atopic dermatitis)  के ही समान है। इसमें त्वचा पर उभरे हुए प्लेकयुक्त चकत्ते बन जाते है।

न्यूमुलर एक्जिमा (Nummular Eczema)
इसमें त्वचा पर सिक्के के आकार के चकत्ते बन जाते हैं। इसमें बहुत अधिक खुजली होती है।

कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस (Contact Dermatitis)
यह किसी विशेष वस्तु को छूने से होता है। इसमें त्वचा पर खुजली एवं वह लाल हो जाते हैं। इसे एलर्जी कांटेक्ट डर्मेटाइटिस भी कहा जाता है। यह त्वचा की प्रतिक्रिया है जो एक विदेशी पदार्थ के संपर्क के साथ होती है।

सेबोरहाइक एक्जिमा 
त्वचा का पीलापन, रूखी और ऑयली त्वचा और चेहरे पर झाइयां हो जाती हैं।

स्टैसिस डर्माटाइटिस  
यह डिसऑर्डर आमतौर पर संचार समस्याओं से संबंधित है और निचले पैरों पर त्वचा की जलन की विशेषता है।

एक्जिमा की रोकथाम कैसे की जा सकती है ?

निश्चित रूप से एक्जिमा का असर व्यक्ति के शारीरिक के साथ-साथ मानसिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इसके अलावा, एक्जिमा से पीड़ित व्यक्ति को कई सारे जोखिमों का भी सामना करना पड़ता है, लेकिन, इन सभी के बावजूद राहत की बात यह है कि किसी भी अन्य बीमारी की तरह एक्जिमा की भी रोकथाम संभव है।
एक्जिमा से पीड़ित व्यक्ति के लिए स्थिति उस समय काफी संवेदनशील हो जाती है,जब इतने सालों से इस बीमारी से ग्रस्त रहने के बावजूद वह इससे निजात नहीं पा पाता है। हालांकि, वह अपनी तरफ से सभी तरीकों जैसे दवाई लेना, खान-पान में बदलाव करना, क्रीम का सेवन करना इत्यादि को अपनाता है, लेकिन जब उसे किसी भी तरीकों से आराम नहीं मिलता है।

एक्जिमा को रोकने के कुछ तरीकों इस प्रकार हैं :-

धूप में ज्यादा देर तक बाहर रहना - जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि एक्जिमा की समस्या उन लोगों में अधिक होती है, जो धूप में ज्यादा समय  बिताते हैं। अत: सभी लोगों को यह कोशिश करनी चाहिए कि वे अधिक समय में बताएं और यदि ऐसा करना संभव नहीं है तो बाहर जाते समय आवश्यक सावधानियां जैसै पूरे कपड़ें पहनना, सनस्क्रीम लगाना इत्यादि को अपनाना चाहिए।

तनाव लेना - एक्जिमा का अन्य कारण अधिक तनाव लेना भी है। अत: सभी लोगों को यह कोशिश  करनी चाहिए कि वे तनाव ज्यादा लें और यदि ऐसा करना संभव नहीं है तो उन्हें तनाव को नियंत्रित करने की कोशिश करनी चाहिए।

पौष्टिक भोजन करना - एक्जिमा होने की संभावना उन लोगों में अधिक रहती है, तो सही भोजन नहीं करते हैं। अत: ऐसे लोगों को पौष्टिक भोजन करना चाहिए ताकि उन्हें एक्जिमा हो।

तेज़ गंध वाले पदार्थों से परहेज करना - जैसा कि ऊपर स्पष्ट  किया गया है कि एक्जिमा एलर्जी की वजह से भी होती है। इसी कारण एलर्जी से पीड़ित व्यक्ति को अपने स्वास्थ का विशेष ध्यान रखना चाहिए और तेज़ गंध वाले पदार्थों से बचाव करना चाहिए ताकि उन्हें एक्जिमा की बीमारी हो सके।

मेहनत वाले कामों को करना - चूंकि, एक्जिमा  का संबंध त्वचा से है, ऐसे में जब किसी व्यक्ति की त्वचा में अधिक मात्रा में पसीना आता है, तो फिर उसमें एक्जिमा होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। ऐसे लोगों को ऐसे किसी काम को नहीं करना चाहिए, जिसमें ज्यादा मेहनत  लगें क्योंकि इससे उनके शरीर में पसीना आएगा और इसके परिणामस्वरूप वे एक्जिमा के मरीज बन सकते हैं।

तापमान में होने वाले अचानक बदलावों से बचना - एक्जिमा की बीमारी उस स्थिति में भी हो सकती है, जब कोई व्यक्ति ठंडे तपमान से तुरंत गर्म तापमान में चला जाता है। इसी कारण किसी भी व्यक्ति को ऐसा नहीं करना चाहिए और यदि तापमान में बदलाव करते समय कुछ समय सामान्य तापमान में बिताना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति का शरीर वातावरण के तापमान के अनुकूल हो जाता है और उसमें किसी भी तरह की बीमारी होने की संभावना भी काफी हद तक कम हो  जाती है।

-        तेज पसीना और अधिक गर्मी एक्जिमा के प्रकोप को ट्रिगर कर सकती है। गर्मी के माहौल से बचें और अपने बेडरूम को हमेशा ठंडा रखें.

-        त्वचा को खरोंच करें, धीरे से खुजली वाले क्षेत्र को रगड़ें। आरामदायक कपड़े पहनें विशेष रूप से सूती कपड़े का चयन आपके शरीर को अच्छी तरह से सांस लेने की अनुमति देता है।

-        चिड़चिड़ापन और एलर्जी के लिए उजागर करें।

-        गर्म पानी की बजाय गुनगुने पानी से स्नान करने की कोशिश करें। स्नान के लिए एक हल्के साबुन का उपयोग करें और रगड़ के बजाय त्वचा को थपथपाएं।

-        कम से कम आठ गिलास पानी पिएं जिससे आपकी त्वचा नम रहे और माइल्ड मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें।

एक्जिमा का इलाज कैसे किया जा सकता है ?

यह सवाल हर उस व्यक्ति के लिए मायने रखता है, जो एक्जिमा से पीड़ित होते  हैं। चूंकि, उन्हें इस दौरान काफी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इसी कारण वे इसके उपचार के बेहतर तरीके की तलाश में रहते हैं। हो सकता है कि अधिकांश लोगों को एक्जिमा और उसके उपचार के संभावित तरीकों की जानकारी हो और इसी कारण वे इससे निजात पाएं।

घरेलू नुस्खों को अपनाना - एक्जिमा का इलाज करने का सबसे आसान तरीका है घरेलू नुस्खों को अपनाना है। इसके लिए ग्रीन टी को पीना, नारियल तेल को लगाना, योगा करना इत्यादि तरीकों को अपनाया जा सकता है।

पैच टेस्ट को कराना - एक्जिमा का इलाज पैच टेस्ट के द्वारा भी किया जा सकता है। इस टेस्ट में एलर्जी की जांच की जाती है और इस टेस्ट के परिणामों के आधार पर व्यक्ति का  इलाज किया जाता है।

दवाई का सेवन करना - किसी भी अन्य बीमारी की तरह एक्जिमा को ठीक करने के लिए भी डॉक्टर दवाई देते हैं। ये दवाइयां शरीर में एक्जिमा को बढ़ने से रोकती हैं और इसके साथ में वे इसे पूरी तरह से समाप्त करने के भी कारगर साबित होती हैं।

थेरेपी लेना - अक्सर,एक्जिमा का इलाज कुछ थेरेपी जैसे लाइट थेरेपी अथवा फोटो थेरेपी के द्वारा भी किया जाता है। इन थेरेपी में अल्ट्रावॉलेट किरणों का इस्तेमाल व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए किया जाता है, ताकि वह एक्जिमा का सामना सही तरीके से कर सके।

दिनचर्या में बदलाव करना - कई बार डॉक्टर एक्जिमा से पीड़ित व्यक्ति को अपनी दिनचर्या में कुछ बदलाव करने जैसे व्यायाम करना, योगा करना, भरपूर नींद लेने इत्यादि करने की सलाह देते हैं। इस प्रकार, एक्जिमा का इलाज दिनचर्या में सकारात्मक बदलावों के द्वारा भी किया जा सकता है।

-        हाइड्रोकार्टिसोन स्टेरॉयड युक्त क्रीम खुजली से राहत देने और सूजन को कम करने में मदद करती हैं। वे ओटीसी से प्रिस्क्रिप्शन दवाओं के लिए अलग-अलग ताकत में उपलब्ध हैं।

-        एनएसएआईडी ऑइंटमेंट एक नया प्रिस्क्रिप्शन नॉन-स्टेरायडल, एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा है जो हल्के से मध्यम एक्जिमा के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। इसे दिन में दो बार लागू करने की सलाह दी जाती है और यह सूजन को कम करने और त्वचा को सामान्य दिखने में मदद करने में प्रभावी है।

-        एंटीबायोटिक्स स्किन को साफ़ करने के कारण होने वाले बैक्टीरियल इन्फेक्शन के उपचार के लिए निर्धारित हैं। एंटीथिस्टेमाइंस रात के समय में खुजली के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है।

-        ड्रग्स प्रतिरक्षा को कम करने में मदद करते हैं जैसे कि साइक्लोस्पोरिन, मेथोट्रेक्सेट, और माइकोफेनोलेट मोफ़ेटिल और कॉर्टिकोस्टेरॉइड टैबलेट, शॉट्स, तरल पदार्थ का उपयोग भड़कना और खुजली को कम करने के लिए किया जाता है।

-        यूवी (UV) लाइट थेरेपी और पुवा (PUVA) थेरेपी की भी सिफारिश की जाती है.

एक्जिमा का उपचार (घरेलू) :

·     खास बात ये है कि, औषधीय गुणों से भरपूर इस मित्रण को आप अपने घर पर ही बड़ी आसानी से बना सकते हैं।
·     इसके लिए आपको 20 ग्राम नीम की छाल, 20 ग्राम पीपल की छाल, 10 ग्राम नौशादर, 20 ग्राम अरंडी का तेल, 2 मदार के पत्ते और 10 ग्राम बबूल की छाल लेनी हैं।
·     इस सभी सामग्री को धूप में सुखा लें और अरंडी के तेल को छोड़ कर सभी चीजों को आपस में पीस लें।
·     इसके बाद इस मिश्रण को अरंडी के तेल में मिलाकर पेस्ट बना लें। इसमें इतना तेल डाला जाता है कि, मिश्रण का पेस्ट बन जाए।
·     इस पेस्ट को आप किसी खुले मुंह की बोतल में भरकर सूरज के सामने 10 दिन तक रखें। इसके बाद जो शेष बचे उसे रोजाना सुबह शाम एक्जिमा पर लगाएं।
·     ऐसा करने से एक महीने में पुराने से पुराना एक्जिमा ख़त्म हो जाता है। इस बात का भी खास ध्यान रखें कि, एक्जिमा वाले स्थान पर किसी तरह का कोई साबुन आदि लागएं।

आप इन उपायों से एक्जिमा का घरेलू इलाज कर सकते हैं :-

नारियल का तेल
शरीर में एक्जिमा वाले स्थान पर नारियल का तेल लगाएँ। इससे खुजली एवं लालिमा से राहत मिलती है। नारियल तेल में कच्चे कपूर को अच्छी प्रकार मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाएँ। एक्जिमा के घरेलू उपाय में नारियल तेल का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है।

शहद का प्रयोग
शहद में एंटी-इंफ्लामेंटरी (Anti-inflammatory) गुण होते हैं। इसे खुजली वाले प्रभावित स्थान पर लगाकर आधे घण्टे के लिए छोड़ दें। इसके बाद ठण्डे पानी से धो लें।

एलोवेरा
एलोवेरा भी एंटी-इंफ्लामेंटरी (Anti-inflammatory) गुणों से भरपूर है, ये इलाज में मदद करता है। ताजे एलोवेरा के पत्तों का पेस्ट निकालकर प्रभावित स्थान पर लगाएँ। इसे दो-तीन घण्टे तक ऐसे ही लगाकर छोड़ दें। ऐसा रोज करना चाहिए।

 हल्दी
हल्दी में एंटी-बैक्टीरियल (Anti-bacterial) और एंटी-इंफ्लामेंटरी (Anti-inflammatory) गुण होते हैं। हल्दी में दूध या गुलाब जल मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाएँ। 15-20 मिनट रखने के बाद ठण्डे पानी से धो लें। एक्जिमा का उपचार हल्दी से करना फायदेमंद साबित होता है।

तुलसी का प्रयोग
तुलसी में मौजूद एंटी-माइक्रोबियल (Anti-microbial) गुण त्वचा को संक्रमण से छुटकारा दिलाता है, और खुजली और जलन को शान्त करता है। तुलसी की चाय पिएँ। इसके साथ ही तुलसी के पत्तों का रस निकालकर प्रभावित स्थान पर लगाएँ। कुछ देर लगे रहने के बाद पानी से धो लें।

अलसी का प्रयोग
अलसी के बीजों को पीसकर नींबू का रस मिलाएँ। अच्छी प्रकार मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाएँ। 15-20 मिनट रखकर ठण्डे पानी से धो लें।

त्रिफला और गिलोय
त्रिफला और गिलोय की छाल को लेकर दो गिलास पानी में उबालें। जब यह उबलकर आधा रह जाय, तब इसमें एक नींबू का रस मिला लें। इसे दिन में तीन बार पिएँ। एक महीने तक इसका लगातार सेवन करने से एक्जिमा रोग से छुटकारा मिल जाता है।

नीम
नारियल में नीम के पत्तों को डालकर तेल पका लें। इस तेल को ठण्डा कर लें, और प्रभावित स्थान पर लगाएँ।  यह बहुत लाभ देता है।

बबूल
बबूल के फूलों को पीसकर एक्जिमा पर लेप करें। यह बहुत फायदेमंद नुस्खा है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सा से परमार्श लें।

थूहर
थूहर के डण्डे को कूट कर पकायें। जब थूहर पूरी तरह जल जाये तो छान लें। ठण्डा होने पर शीशी में भर लें। नीम की पत्तियां डालकर खौलायें और पानी से साफ कर लें। रुई से रोज 3-4 बार इस तेल का प्रयोग करें। इससे पुराने से पुराना रोग एक सप्ताह में ही खत्म हो जाएगा

स्वाभाविक रूप से एक्जिमा से छुटकारा कैसे पाया जा सकता हैं?

एक्जिमा के उपचार के प्राकृतिक तरीके इस प्रकार हैं :-

·      नद्यपान रूट निकालने से खुजली में कमी का संकेत मिलता है। नारियल तेल या खुजली क्रीम की कुछ बूँदें जोड़ने से अतिरिक्त लाभ मिलता है।
·      ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ प्रतिरक्षा समारोह को बढ़ावा देने और उपचार प्रक्रिया को गति देने के लिए भड़कने के दौरान मदद करते हैं।
·      विटामिन लेने से सूजन को कम करके उपचार को गति मिलती है और टोपिकल ऑइंटमेंट खुजली से राहत देता है और त्वचा को झुलसने से रोकता है।
·      विटामिन से भरपूर भोजन लेने से त्वचा में निखार आता है।
·      कैलेंडुला क्रीम त्वचा में कटौती, जलन और सूजन को ठीक करती है। यह प्रभावित क्षेत्र में ब्लड फ्लो में सुधार करता है, त्वचा को हाइड्रेट करने में मदद करता है और इन्फेक्शन से लड़ता है।
·      हिप्नोसिस, एक्यूपंक्चर जैसे वैकल्पिक उपचार तनाव और चिंता के स्तर को कम करते हैं।

एक्जिमा होने पर किन खाद्य पदार्थों से बचें ?

हालांकि भोजन सीधे स्थिति के साथ शामिल नहीं होता है, यह लक्षणों को बढाता है। इन लक्षणों से बचने के लिए आम खाद्य पदार्थ सोया, नट्स, अंडे, साइट्रस, लस, टमाटर और डेयरी उत्पाद हैं क्योंकि वे प्रभावित लोगों के बीच एलर्जी है। प्रेसेर्वतिव और आर्टिफीसियल अव्यव भी लक्षणों को बढ़ाते हैं और ऐसे खाद्य पदार्थ ट्रांस वसा जैसे मार्जरीन, प्रसंस्कृत भोजन में उच्च होते है।

हाई सुग्री वाले पदार्थ जैसे केक, कुछ स्मूदी बर्गर इंफ्लेमेसेन को प्रेरित करते हैं। डिहाइड्रोटिक एक्जिमा से पीड़ित लोगों को दाल, काली चाय, बीन्स, शंख, नाशपाती, हरे सेब जैसे निकल समृद्ध खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। हमेशा अच्छी तरह से संतुलित भोजन करना अच्छा होता है और जो भी आप व्यक्तिगत रूप से महसूस करते हैं, उससे बचें।


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